The Basic Principles Of Shiv chaisa
The Basic Principles Of Shiv chaisa
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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ ।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल shiv chalisa lyricsl दुःख हरहु हमारी॥
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